व्यक्ति और व्यवस्था का अटूट संबंध
मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक किसी न किसी व्यवस्था के अधीन रहता है,
जन्म के पहले से लेकर मृत्यु के बाद तक प्रकृति की व्यवस्था के अधीन, जन्म के पश्चात परिवार की व्यवस्था, समाज की व्यवस्था फिर देश की शासन व्यवस्था सभी व्यवस्थाएं मनुष्य के जीवन को प्रभावित करती हैं,
प्रकृति की शासन व्यवस्था और देश की शासन व्यवस्था का मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है प्रकृति की शासन व्यवस्था हर दृष्टि से परिपूर्ण है इसके पीछे कोई व्यक्ति दिखाई नहीं देता यह व्यवस्था सभी को बराबर मानती है,
प्रकृति की व्यवस्था विश्वास और सहयोग के सिद्धांतों पर टिकी है ऐसा पूर्णता परीलक्षित होता है इसमें पूर्णता स्वतंत्रता भी है और नियंत्रण में है आदर और सम्मान की इस व्यवस्था को सबसे पहले हमारे ऋषि-मुनियों ने पहचाना है
Unbreakable relationship between human and system
Human remains under one or another system from birth till death, unbreakable relationship between human and system
From before birth to after death, under the system of nature, after birth the system of family, the system of society, then the governance system of the country, all systems affect the life of a human being.
The governance of nature and the governance of the country have an important place in human life, the governance of nature is perfect from every point of view, no person is visible behind it, this system considers everyone equal.
The system of nature rests on the principles of trust and co-operation, such perfection is reflected in it and here perfection is all about freedom but still under control. This system of honor and respect has been recognized first by our sages.
Be blessed
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